Thu, 30 Oct 2025, 02:34 AM

Description :

इस पर्चे का उद्देश्य प्रशिक्षुओं को विद्यालय के विभिन्न आयामों का विश्लेषण इस प्रकार करने का अवसर प्रदान करना है जिससे उन्हे ं देश की प्रमुख शिक्षा नीतियो ं तथा उनके विकासक्रम का ज्ञान अपनी संस्था के संदर्भ में मिल सके। आमतौर पर शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानांे में ‘शिक्षा का इतिहास’ एक विषय के रूप मंे पढ़ाया जाता है। इसमें शिक्षा से संबंधित एेि तहासिक तथ्यो ं का े प्रमुखता से चिन्हित किया जाता है, परन्तु ये तथ्य किसी संदर्भ से नहीं जुड़ पाते और इस कारण देश की शिक्षा नीतियों को लेकर एक विहंगम तथा संवेि दत दृष्टि का विकास करने मे ं असमर्थ रहते हैं। एक अन्य आम प्रवृति देश की शैक्षिक नीतियो ं का े सिर्फ उनकी प्रमुख संस्तुतियांे के दर्पण में देखने की है। किसी भी शिक्षा नीति के बनाये जाने की प्रक्रिया, उस समय की आवश्यकताएँ तथा बाध्यताओ ं का े भी जानना महत्त्वपूर्ण है। एक शिक्षा नीति से दूसरी शिक्षा नीति का सफर उपलब्धियो ं और अधूरे रह गय े लक्ष्यांे की मिलीजुली कथा कहता ह।ै अतः शिक्षा नीतियो ं का े किस रीति से पढ़ाया जाए, यह महत्त्वपूर्ण है। यह पर्चा इस बात का प्रयास करता है कि प्रशिक्षु किसी एक विद्यालय जो उनका अपना विद्यालय भी हो सकता है, को आधार बनाकर शिक्षा नीतियों एवं आयोगों की अनुसंशाओं को लागू किये जाने में निहित चुनौतियों को समझ सके। इसके लिए प्रत्येक प्रशिक्षण संस्थान अपने आस-पास के किसी एक विद्यालय को संदर्भ बनाकर समझने का अभ्यास करायेगा। इसके द्वारा प्रशिक्षुओं का ध्यान किसी विद्यालय के विभिन्न आयामों पर दिलाया जा सकता है। इस आलोक में विद्यालय के कुछ महत्त्वपूर्ण आयामांे का े इस पर्चे मंे अलग-अलग इकाइयो ं के रूप मंे चिह्नित किया गया है जिनकी रूपरेखा भी साथ में वर्णित है।